सौर ऊर्जा से महिलाओं को मिल रही आर्थिक आज़ादी की शक्ति

जैसे-जैसे सौर टेकनॉलोजी सस्टेनेबल ऊर्जा के आसान विकल्प के रूप में गति पकड़ रही है, महिलाओं की भागीदारी में बाधा बनने वाली चुनौतियां कम हो रही हैं. यह बदलाव महिलाओं को उद्यमिता बढ़ाने में योगदान दे रहा है.

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मिस्बाह
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Image Credits: Ravivar vichar

सौर ऊर्जा (solar energy) से महिलाओं को सामाजिक बदलाव लाने की और आर्थिक आज़ादी (financial freedom) हासिल करने की शक्ति मिल रही है. जैसे-जैसे सौर टेकनॉलोजी (solar technology)  सस्टेनेबल ऊर्जा (sustainable energy) के आसान विकल्प के रूप में गति पकड़ रही है, महिलाओं की भागीदारी में बाधा बनने वाली चुनौतियां कम हो रही हैं. गांवों से लेकर शहरी समुदायों तक यह बदलाव न सिर्फ महिलाओं को आर्थिक आज़ादी के साथ सशक्त बनाता है, बल्कि लैंगिक असमानताओं (gender inequality) को कम करने और महिलाओं के उद्यमिता (women entrepreneurship) अवसर बढ़ाने में भी योगदान देता है.

सौर ऊर्जा से ग्रामीण महिलाओं को मिल रहा रोज़गार 

गैरेज से लेकर पापड़ बनाने वाली मशीनों तक, सौर ऊर्जा से चलने वाली प्रौद्योगिकियां महिलाओं को घर-आधारित छोटे बिज़नेस शुरू करने में मदद कर रहे हैं. इससे वह कम समय में ज़्यादा काम कर पा रही हैं. उनकी उत्पादकता (solar energy increased productivity) बढ़ी और कठिन परिश्रम भी कम हुआ है.

दो बच्चों की मां राम्या कुमार देवनहल्ली के अवथी गांव में रहती हैं. कुमार श्री क्षेत्र धर्मस्थल ग्रामीण विकास परियोजना (SKDRDP) द्वारा संचालित एक स्वयं सहायता समूह (self help groups) का हिस्सा बनी. उन्होंने समूह से लोन लेकर सेल्को की सौर ऊर्जा से चलने वाली दूध देने वाली मशीन खरीदी

“पहले, गायों को मैन्युअल रूप से दूध देने में 30 मिनट लगते थे, अब हर गाय के लिए सिर्फ 5 मिनट काफी हैं. इससे मुझे अपने बच्चों के साथ ज़्यादा समय बिताने और खेत पर ज़्यादा काम करने का मौका मिलता है,” राम्या बताती है. अपने परिवार की तीन गायों का दूध बेचने से, वह है महीने करीब 30 हज़ार रुपये कमाती हैं.

बेंगलुरु के होन्नापुरा में, 33 वर्षीय सौम्या अपने बरामदे में सौर ऊर्जा से चलने वाली पापड़ सूखने की मशीन का इस्तेमाल करती है. इस तरह उन्होंने एकसाथ 6 पापड़ बनाकर अपनी स्पीड और बिज़नेस को छह गुना बढ़ाया है. 

सरकार दे रही सौर ऊर्जा को बढ़ावा 

भारत का लक्ष्य 2030 तक नॉन-फॉसिल स्रोतों (non-fossil sources) के ज़रिये 500 गीगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता हासिल करना है. इस लक्ष्य को पाने में सौर ऊर्जा एक बड़ी भूमिका निभा रही है. केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की रिपोर्ट ने बताया कि पिछले पांच सालों में रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता लगभग दोगुनी हो गई है. (डीसेंट्रलाइज़्ड रिन्यूएबल एनर्जी (decentralised renewable energy -DRE) आधारित टेक्नॉलोजी से सबसे ज़्यादा फायदा ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को हो रहा है.  

मिनिस्ट्री ऑफ़ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (Ministry of New and Renewable Energy) ने फरवरी 2022 में देश में DRE आजीविका को बढ़ाने के लिए पहली नीति रूपरेखा जारी की. DRE-आधारित प्रौद्योगिकियां, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां बिजली तक बहुत कम या कोई पहुंच नहीं है, खासकर महिलाओं और वंचित वर्गों की सहायता करती है. नीति का उद्देश्य राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों के ज़रिये महिला स्वयं सहायता समूहों की मदद से महिलाओं के बीच डीआरई प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना है.

NGO और CSR की मदद से ग्रामीण महिलाओं तक पहुंच सकेगी सौर ऊर्जा 

सौर ऊर्जा की तकनीक को महिलाओं तक पहुंचाने में आज भी कई सामाजिक और आर्थिक चुनौतियां हैं. NGO और CSR की मदद से इन चुनौतियों को दूर किया जा सकता है. स्वयं सहायता समूह (SHG) से जुड़कर महिलाएं अपना बिज़नेस शुरू कर रही हैं. यदि उन्हें सौर तकनीक तक पहुंच मिलेगी तो वह अपनी आमदनी बढ़ा, उद्यमिता के क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकेंगी.

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